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Tuesday, March 7, 2017

रेबीज से बचने के उपाय,Rabies Prevention in Hindi,

रेबीज से बचने के उपाय,Rabies Prevention in Hindi,
कुत्ते बंदर के काटने पर कभी भी लापरवाही न बरतें अन्यथा आप रेबीज का शिकार हो सकते हैं। जब कोई कुत्ता या बंदर काटे तो तुरंत नजदीकी चिकित्सक से इलाज करवाएं। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अक्सर में कुत्ते या बंदर के काटने पर घूरेलू उपचार करने लग जाते हैं। इससे रेबीज का खतरा बढ़ जाता है व घायल व्यक्ति की मौत भी हो सकती है

किसी संक्रमित पशु के काटने या खुले घाव को चाटने से यह इन्फेक्शन होता है। यह इन्फेक्शन पशुओं में लड़ने या काटने से फैलता है। जब ऐसे संक्रमित पशु आदमी के संपर्क में आते हैं तो इसे आदमी में भी फैलाते हैं। आदमी से आदमी में यह इन्फेक्शन नहीं फैलता। वायरस आदमी के शरीर में प्रवेश करने यह इंद्रियों पर आक्रमण करता है और मेरूदंड से मस्तिष्क तक जाकर एनसेफ लाइटिस उत्पन करता है जो कि घातक होती है। इनफेक्शन के फैलने से बचने का उपाय एंटीबॉडिज है जो टीकाकरण द्वारा दिया जाता है। यह काटने के 24 घटे भीतर दिया जाना चाहिए। इससे इन्फेक्शन रुक जाता है।

रेबीज से बचने के उपाय,Rabies Prevention in Hindi,

इन सभी लक्षणों से बचना है तो कुत्ता, बिल्ली या बंदर के काटने के 24 घंटे के अंदर ऐंटि-रेबीज टीकों के जरिए इलाज शुरू करवा दें।
  • अगर कुत्ता प्यार से भी चाटता है, तो होशियार हो जाएं। अगर कुत्ते में रेबीज का इन्फ़ेक्शन होगा तो आपके शरीर में रेबीज के वायरस जाने की आशंका बनी रहती है, खासकर अगर कुत्ते ने शरीर के उस हिस्से को चाट लिया हो, जहां चोट की वजह से मामूली कट या खरोंच हो।
  • अगर किसी कुत्ते के काटने के बाद स्किन पर उसके एक या दो दांतों के निशान दिखाई पड़ते हैं, तो समझिए कि एहतियात बरतने की जरूरत है।
  • ऐसे कई लोग हैं, जो यह सोचकर कि कुत्ते को रेबीज न रहा होगा, एक या दो दांतों के निशान को मामूली जख्म की तरह ट्रीट करते हैं।
  • ऐसी अनदेखी घातक साबित हो सकती है, क्योंकि रेबीज का वायरस एक बार आपके शरीर में जाकर बरसों-बरस डॉर्मन्ट (सुप्तावस्था में) रह सकता है।
  • कई बरस बाद जब यह अपना असर दिखाना शुरू करता है तो इलाज के लिए कुछ नहीं बचता।
  • कुत्ता आमतौर पर तीन जगहों में किसी एक जगह पर काटता है: हाथ, चेहरा या टांग।
  • अगर हाथ या चेहरे पर काटने के बाद एक भी गहरा निशान बनता है या दांतों के तीन-चार निशान दिखाई देते हैं तो समझिए मामला बेहद संजीदा है और इलाज के लिए फौरन जाना चाहिए।
  • जितना हो सके घाव को बहते गुनगुने पानी से धोना चाहिए ।
  • घाव को कभी ढकें नहीं। इसकी पट्टी न करें और टांकें न लागवाएं।
  • नजदीकी दवाखाने में या सरकारी अस्पताल में जाएं जहां एआरवी उपलब्ध होती हैं।
  • कुत्ता या पशु का निरीक्षण 10 दिन तक करें।
  • यदि कुत्ता पालतू है तो जानें कि उसे टीका दिलाया गया अथवा नहीं और जानें की उसे घुमाने ले जाया जाता है या नहीं।
  • कुत्ते, बिल्ली या बंदर के काटने को हल्के में लेना बड़ी भूल है। इससे जानलेवा रेबीज हो सकता है।
  • कुत्ते के काटने के बाद अब भी कई लोगों को यह लगता है कि पेट में 14 इंजेक्शन लगेंगे। यह गलत है। वैक्सिनेशन के तरीके और टाइम पीरियड अब बदल चुके हैं। यह भी जान लेना जरूरी है कि कुत्ते, बिल्ली या बंदर के काटने पर आपके काम का डॉक्टर जनरल फिजिशन (फैमिली डॉक्टर) ही है।
  • रेबीज को रोकने के लिए प्रॉपर वैक्सिनेशन (ऐंटि-रेबीज वैक्सिनेशन) की जाती है।
  • ऐंटि-रेबीज वैक्सीन सेंट्रल नर्वस सिस्टम (जहां रेबीज के वायरस अटैक करते हैं) पर रक्षात्मक परत बना कर उस वायरस के असर को खत्म कर देती है।
  • वैक्सिनेशन दो तरह से की जाती है: ऐक्टिव और पैसिव। अगर जख्म गहरा हो तो ऐक्टिव वैक्सिनेशन के तहतदो इंजेक्शन फौरन लगते हैं। इसमें ऐंटि-रेबीज सीरम कोपहले मसल्स (बाजू या हिप्स) में और फिर ठीक उस जगह पर जहां कुत्ते, बिल्ली या बंदर ने काटा हो, इंजेक्शन के जरिए डाला जाता है।
  • इसके बाद बारी आती है पैसिव वैक्सिनेशन की। इसमें पांच इंजेक्शन एक खास टाइम पीरियड में लेने पड़ते हैं।

Friday, March 3, 2017

रेबीज क्या है,What is Rabies in Hindi,

रेबीज क्या है,What is Rabies in Hindi,
रेबीज़ एक न्यूरो इनवेसिव (Neuro-Invasive) वायरल बीमारी है। रेबीज़ का वायरस तंत्रिका तंत्र यानि सेंट्रल नर्वस सिस्टम (Central Nervous System) पर अटैक करता है, जिससे पीड़ित व्यक्ति सामान्य नहीं रह पाता क्यों होता है रेबीज़ (Causes of Rabies) रेबीज़ (Rabies​) कुत्तों या अन्य पशुओं जैसे भेड़िया, लोमड़ी, सियार, गीदड़ चमगादड़, भेड़, गाय, बन्दर, घोड़ा, बिल्ली के काटने से होने वाला रोग है । पालतू जानवर के थूक के संपर्क में आने पर भी रेबीज़ रोग हो सकता है।रेबीज़ से होने वाली मौतें (Death Due to Rabies​) विश्व स्वास्थ्य संगठन की तालिका में रेबीज़ (Rabies​) से होने वाली मौतें बारहवें क्रम पर हैं। विश्व में जानवरों के काटने के चालीस लाख मामले प्रतिवर्ष होते हैं। इलाज की अज्ञानता अथवा उपचार के अभाव में साठ हजार मौतें विश्व में प्रतिवर्ष होती हैं। सर्वाधिक मौतें एशिया में होती हैं। पशुओं के काटने के पाँच लाख मामले प्रतिवर्ष दर्ज कराए जाते हैं, जिनमें चार लाख पच्चीस हजार मामले कुत्तों के काटने के होते है।

रेबीज के लक्षण Symptoms Rabies in Hindi

  • हिंसक गतिविधि, अनियंत्रित उत्तेजना, पानी से डर, शरीर के अंगों को हिलाने में असमर्थता, भ्रम, और होश खो देना  What is Rabies in Hindi
  • पानी से डर (हाइड्रोफोबिया) - प्यास के बावजूद पानी न पीना
  • बात-बात पर भड़क जाना - बर्ताव में हिंसक हो जाना
  • लक्षण प्रकट होने के बाद, रेबीज़ का परिणाम लगभग हमेशा मौत है।
  • रोग संक्रमण और लक्षणों की शुरुआत के बीच की अवधि आमतौर पर एक से तीन महीने होती है। तथापि, यह समय अवधि एक सप्ताह से कम से लेकर एक वर्ष से अधिक तक में बदल सकती है।
  • यह समय अवधि उस दूरी पर निर्भर करता है जिसे विषाणु के लिए केंद्रीय स्नायुतंत्र तक पहुँचने के लिए तय करना आवश्यक है। 
  • रेबीज़ इंसानों में अन्य जानवरों से संचारित होता है। जब कोई संक्रमित जानवर किसी अन्य जानवर या इंसान को खरोंचता या काटता है तब रेबीज़ संचारित हो सकता है।
  • किसी संक्रमित जानवर के लार से भी रेबीज़ संचारित हो सकता है यदि लार किसी अन्य जानवर या मनुष्य के श्लेष्मा झिल्ली (Mucous Membrane) के संपर्क में आता है।
  • मनुष्यों में रेबीज़ के अधिकतर मामले कुत्तों के काटने से होते हैं
  • उन देशों में जहाँ कुत्तों में आम तौर पर रेबीज़ होते हैं, रेबीज़ के 99% से अधिक मामले कुत्तों के काटने से होते हैं। 
  • अमेरिका में, मनुष्यों में रेबीज़ संक्रमण का सबसे आम स्रोत चमगादड़ का काटना है, और 5% से कम मामले कुत्तों से होते हैं
  • कृन्तक (Rodents) बहुत कम ही रेबीज़ से संक्रमित होते हैं।
  • रेबीज़ वायरस परिधीय तंत्रिकाओं (peripheral nerves) के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुँचता है। रोग की पहचान केवल लक्षणों की शुरुआत के बाद ही की जा सकती है।
  • रेबीज की सबसे विशेषता लक्षण प्रकट होता है।आप किसी भी तरल, यहां तक ​​कि लार निगल रोगी का प्रयास करते हैं, गला और ग्रसनी की मांसपेशियों की ऐंठन नहीं है।
  • प्रकार और चल रहे पानी की भी ध्वनि, और यहां तक ​​कि डर की उपस्थिति और इस तरह के एक ऐंठन के विकास के कारण पानी के बारे में बात करते हैं।
  • आप रोगी के एक कप पीने की कोशिश करते हैं, तो वह झुकता है, धक्का वापस उसके सिर फेंकता है।कुछ उभड़ा आंखें, कुछ बिंदु पर निर्देशित पुतली का विस्तार निगाहें, मुश्किल सांस, पसीना बढ़ जाती है: यह भय व्यक्त करता है जब मरीज का चेहरा नीला पड़ जाता है।मांसपेशियों की अकड़नेवाला संकुचन के हमलों, अल्पकालिक (हालांकि कुछ ही सेकंड तक चलने वाले), लेकिन वे अक्सर दोहराया जाता है।
  • हमले तरल की उपस्थिति, और हवा के एक विमान या एक जोर से दस्तक ध्वनि, एक चमकदार रोशनी न केवल उत्तेजित कर सकते हैं।इसलिए, रोगी रेबीज (जलांतक), लेकिन यह भी Aerophobia, phonophobia, फोटोफोबिया न केवल विकसित करता है।बढ़ी हुई पसीना, प्रचुर नोट और लार को अलावा।आंदोलन और आक्रामकता और क्रोध नहीं है।मरीजों को मारा, खुद के लिए कपड़े को तोड़ सकते हैं, वे थूक, काट सकती है। What is Rabies in Hindi
  • यह लोगों का कहना है कि जब अनुचित हिंसक और आक्रामक व्यवहार, मतलब है "एक पागल की तरह व्यवहार कर रही।"हमले के दौरान भ्रम चिह्नित भयावह दृश्य और श्रवण मतिभ्रम दिखाई देते हैं।

Thursday, March 2, 2017

स्वस्थ रहने के आयुर्वेदिक उपाय,Tips for Healthy Life in Hindi,

स्वस्थ शरीर ही मनुष्य का सबसे बड़ा खजाना होता है । एक सुखी स्वस्थ जीवन के लिए तन और मन दोनों का स्वस्थ होना जरुरी है । अगर हम शारीरिक रूप से स्‍वस्‍थ रहेगे , तभी हम अपने आप को सार्वजनिक एवं निजी जीवन में सफल देख पाएंगे । इसके विपरीत एक अस्वथ इन्सान हमेशा तनाव ग्रस्त हताश और परेशान दिखता है । इसीलिए अगर हमे अपने जीवन का पूरा आनंद उठाना है , तो हमे अपनी सेहत का ख्याल रखना अत्यंत ही आवश्यक है । अगर आप अपनी दिनचर्या में ये  चीजें शामिल कर लें तो दुनिया का कोई भी रोग आपको छू भी नहीं पायेगा।हृदय रोग, शुगर (मधुमेह), जोड़ों के दर्द, कैंसर, किडनी, लीवर आदि के रोग आपसे कोसों दूर रहेंगे! ऐसे ग़ज़ब हैं ये,आइये जानते हैं इनके बारे में
  • दालचीनी और शहद-सर्दियों में चुटकी भर दालचीनी की फंकी चाहे अकेले ही चाहे शहद के साथ दिन में दो बार लेने से अनेक रोगों से बचाव होता है।
  • सुबह जगने के बाद बिना कुल्ला करे 2 से 3 गिलास पानी सुखआसन मे बैठकर पानी घूटं-घूटं करके पिये यानी उषा पान करे ।
  • खाने के साथ भी कभी पानी न पिये। जरुरत पड़े तो सुबह ताजा फल का रस, दोपहर मे छाछ और रात्रि मे गर्म दूध का उपयोग कर सकते हैं।
  • भोजन हमेशा सुखआसन मे बैठकर करे और ध्यान खाने पर ही रहे, मतलब टेलीविजन देखते, गाने सुनते हुए, पढ़ते हुए, बातचीत करते हुए कभी भी भोजन न करे।
  • नाक में तेल-रात को सोते समय नित्य सरसों का तेल नाक में लगाये। और 5 – 5 बूंदे बादाम रोगन की या सरसों के तेल की या गाय के देसी घी की हर रोज़ डालें.
  • कानो में तेल-सर्दियों में हल्का गर्म और गर्मियों में ठंडा सरसों का तेल तीन बूँद दोनों कान में कभी कभी डालते रहे। इस से कान स्वस्थ रहेंगे।
  • लहसुन की कली-दो कली लहसुन रात को भोजन के साथ लेने से यूरिक एसिड, हृदय रोग, जोड़ों के दर्द, कैंसर आदि भयंकर रोग दूर रहते हैं।
  • तुलसी और काली मिर्च-प्रात: दस तुलसी के पत्ते और पांच काली मिर्च नित्य चबाये। सर्दी, बुखार, श्वांस रोग, अस्थमा नहीं होगा। नाक स्वस्थ रहेगी।
  • आंवला-किसी भी रूप में थोड़ा सा आंवला हर रोज़ खाते रहे, जीवन भर उच्च रक्तचाप और हार्ट फेल नहीं होगा, इसके साथ चेहरा तेजोमय बाल स्वस्थ और सौ बरस तक भी जवान महसूस करेंगे।
  • मेथी-मेथीदाना पीसकर रख ले। एक चम्मच एक गिलास पानी में उबाल कर नित्य पिए। मीठा, नमक कुछ भी नहीं डाले इस पानी में। इस से आंव नहीं बनेगी, शुगर कंट्रोल रहेगी जोड़ो के दर्द नहीं होंगे और पेट ठीक रहेगा।
  • छाछ-तेज और ओज बढ़ने के लिए छाछ का निरंतर सेवन बहुत हितकर हैं। सुबह और दोपहर के भोजन में नित्य छाछ का सेवन करे। भोजन में पानी के स्थान पर छाछ का उपयोग बहुत हितकर हैं।
  • हरड़-हर रोज़ एक छोटी हरड़ भोजन के बाद दाँतो तले रखे और इसका रस धीरे धीरे पेट में जाने दे। जब काफी देर बाद ये हरड़ बिलकुल नरम पड़ जाए तो चबा चबा कर निगल ले। इस से आपके बाल कभी सफ़ेद नहीं होंगे, दांत 100 वर्ष तक निरोगी रहेंगे और पेट के रोग नहीं होंगे, कहते हैं एक सभी रोग पेट से ही जन्म लेते हैं तो पेट पूर्ण स्वस्थ रहेगा।
  • सौंठ-सामान्य बुखार, फ्लू, जुकाम और कफ से बचने के लिए पीसी हुयी आधा चम्मच सौंठ और ज़रा सा गुड एक गिलास पानी में इतना उबाले के आधा पानी रह जाए। रात क सोने से पहले यह पिए। बदलते मौसम, सर्दी व् वर्षा के आरम्भ में यह पीना रोगो से बचाता हैं। सौंठ नहीं हो तो अदरक का इस्तेमाल कीजिये।Tips for Healthy Life
  • हमेशा पानी को घूट-घूट करके चबाते हुए पिये और खाने को इतना चबाये की पानी बन जाये। किसी ऋषि ने कहा है कि "खाने को पियो और पीने को खाओ"
  • खाने के 40 मिनट पहले और 60-90 मिनट के बाद पानी पिये और फ्रीज का ठंडा पानी, बर्फ डाला हुआ पानी जीवन मे कभी भी नही पिये। गुनगुना या मिट्टी के घडे का पानी ही पिये । Tips for Healthy Life

Wednesday, March 1, 2017

जैतून के तेल के फायदे,Benefits of Olive Oil in Hindi,

जैतून के तेल के फायदे,Benefits of Olive Oil in Hindi,
जैतून का तेल ( Olive Oil) एक बेहद लाभकारी तेल है | इसे जैतून के फल से निकाला जाता है | इसके अनगिनत लाभ हैं | यह स्वास्थ्यवर्धक है, जैतून का तेल जिसे हम ऑलिव ऑयल भी कहते है। यह तेल हमारे शरीर को कई रोगों से राहत दिलवाता है। जैतून का तेल हमारी सुंदरता बढ़ाने के साथ-साथ हमें ओर भी कई समस्याओं जैसे बालों और त्वचा सम्बन्धी समस्याओं से राहत दिलवाता है। जैतून के तेल का प्रयोग खाना पकाने में, सौंदर्य सामग्री और दवाओं में तेल के रूप में प्रयोग किया जाता है।

जैतून के तेल के फायदे,Benefits of Olive Oil in Hindi,

  • जैतून ऑस्टेरोपिरोसिस में भी लाभकारी है। यह बोन मिनरल्स को इम्प्रूव करके उनमे कैल्शियम को स्टोर करता है।
  • डिप्रेशन के शिकार लोगों को भी ऑलिव का इस्तेमाल करना चाहिए। खाना बनाने में इसके तेल का इस्तेमाल करें। 
  • जैतून के तेल से चेहरे पर मसाज करने से चेहरे में चमक और झुर्रियों से भी राहत मिलती है।
  • जैतून के तेल का प्रयोग हम शरीर पर मालिश करने के लिए भी करते है ,यें त्वचा को कोमल बनाएं रखने में मदद करता है।
  • जैतून के तेल का प्रयोग पैरों के लिए भी लाभकारी होता है,पैरों को कोमल बनाएं रखने में मदद करता है।
  • जैतून के तेल से आंखों के आसपास मसाज करने से आंखों के काले घेरों से छुटकारा मिलता है।
  • जैतून के तेल का प्रयोग भोजन में करने से हड्डियां मजबूत बनती है।
  • जैतून के तेल का सेवन करने से हृदय संबधी रोगों से निजात मिलती है।
  • ऑलिव त्वचा के कैंसर से भी बचाता है। हेल्दी नेल्स- नेल्स को ऑलिव ऑयल में आधे घण्टे तक डुबोकर रखे। इससे नेल्स सॉफ्ट और चमकदार बनेगे।
  • हेल्दी लिप्स- फ़टे और रूखे लिप्स पर ऑलिव ऑयल से 5 मिंनट तक मसाज करे। इससे लिप्स सॉफ्ट और हेल्दी बनेगी।
  • ब्लैक हेड्स- नहाने के बाद एक चम्मच ऑलिव ऑयल को चेहरे पर लगाएं। ब्लैक हेड्स की प्रॉब्लम दूर होगी।
  • कैंसर- जैतून के तेल में एंटी-ऑक्सीडेंट की मात्रा भी काफी होती है। इसमें विटामिन ए, डी, ई, के और बी-कैरोटिन की मात्रा अधिक होती है। इससे कैंसर से लड़ने में आसानी होती है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में किए गए एक शोध के अनुसार जैतून का तेल आंत में होने वाले कैंसर से बचाव करने में अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। 
  • ऑस्टियोपोरोसिस- जैतून के तेल में कैल्शि‍यम की काफी मात्रा पाई जाती है, इसलिए भोजन में इसका उपयोग या अन्य तरीकों से इसे आहार में लेने से ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं से निजात मिलती है। 
  • मोटापा- लंबे समय तक जैतून के तेल को आहार में शामिल करने पर यह शरीर में मौजूद वसा को खुद ब खुद कम करने लगता है। इससे आपका मोटापा कम होता है, वह भी हेल्दी तरीके से।
  • मेकअप रिमूवर- जैतून के तेल को मेकअप रिमूवर के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। इसके प्रयोग से त्वचा रूखी भी नहीं होती और त्वचा का रंग गोरा होता है। यह त्वचा को पोषण प्रदान करता है।
  • धूप से झुलसी त्वचा को ठीक करने के लिए जैतून का तेल बहुत प्रभावी है।
  • नहाने के बाद ऑलिव ऑयल लगाने से शरीर पर मौजूद काले धब्बे दूर हो जाते हैं और पूरे दिन आपके शरीर पर नमी बनी रहती है। Benefits of Olive Oil
  • जैतून का तेल चेहरे और गर्दन पर लगाएं। इससे चेहरे पर रौनक आ जाएगी और गर्दन का कालापन दूर हो जाएगा।
  • ऑलिव ऑयल में चीनी मिलाकर रोज स्क्रब करने से काली त्वचा की समस्या से काफी हद तक निजात मिलती है।
  • जैतून के तेल से सिर पर मालिश करने से बाल मुलायम हो जाते है। बालों की समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।जैतून के तेल का सेवन करने से कब्ज से राहत मिलती है।
  • जैतून के तेल और चीनी का प्रयोग करके हम चेहरे पर स्क्रब भी कर सकते है।
  • जैतून के तेल का प्रयोग हम फेसपैक में भी कर सकते है।
  • जैतून का तेल त्वचा के अंदर गहराई से जा कर त्वचा को पोषण प्रदान करता है।
  • जैतून के तेल का प्रयोग खाना पकाने में,सौंदर्य सामग्री और दवाओं में तेल के रूप में किया जाता है।
  • सलाद को और भी पौष्टिक बनाने के लिए उसके ऊपर ऑलिव ऑयल डालकर खाना चाहिए।
  • कई तरह के कैंसर से बचाने में भी जैतून सहायक है।*. आँखों को स्वस्थ रखने में ऑलिव बेहद लाभकारी है।
  • ऑलिव के सेवन से खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा घटती है।ऑलिव ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है।
  • ऑलिव अल्जाइमर जैसी बीमारी के प्रभाव को कम करता है। Benefits of Olive Oil

Thursday, February 23, 2017

अजवायन के लाभ,Health Benefit of Carom Seeds in Hindi,

अजवायन एक रसोई घर का बे मिसाल मसाला और एक असरकारक ओषधि है। यह पकवान का स्वाद बढ़ने के साथ साथ पेट सम्बंधी अनेक रोगों जैसे वायु विकार, कृमि, अपच, कब्ज आदि को ठीक करने में मदद करता है अजवायन स्वास्थ्य और सौंदर्य, के लिए बहूत ही उपयोगी है
अजवाइन का इस्तेमाल मसाले के रूप में हर रसोई में किया जाता है । दादी - नानी के नुस्ख़े में पेट दर्द होने पर अजवाइन की फक्की मार लेने की सलाह दी जाती है । यह खाने का स्वाद तो बढ़ाती ही है , साथ ही सेहत से जुड़ी कई परेशानियों को दूर करती है । इसका चुर्ण बनाकर खाने से पाचन क्रिया दुरूस्त रहती है । आइए जाने इसके लाजवाब फायदों के बारे में

अजवायन के लाभ,Health Benefit of Carom Seeds in Hindi,

  • अपच खाना खाने के बाद भारीपन होने पर 1 चम्मच अजवाइन को चुटकी भर अदरक पाउडर के साथ खाने से फ़ायदा मिलता है ।
  • कब्ज़ कई लोगों को पेट संबधी समस्याएँ रहती है जैसे कि कब्ज़ । इसके लिए रोज़ाना खाना खाने के बाद गुनगुने पानी के साथ आधा चम्मच अजवाइन का सेवन करें । इससे कब्ज़ की परेशानी दूर होगी ।
  • गुर्दे की पथरी के इलाज के लिए अजवाइन बहुत लाभकारी है । अजवाइन , शहद और सिरका का लगातार 15 दीनो तक सेवन करने से फ़ायदा मिलता है ।
  • अस्थमा के इलाज के लिए भी अजवाइन बहुत फायदेमंद मानी जाती है । रोज़ाना दिन में 2 बार अजवाइन के साथ गुड़ का सेवन करने से लाभ मिलता है ।
  • पेट दर्द से परेशान है तो अजवाइन और नमक का सेवन गुनगुने पानी के साथ करें ।
  • पीरियड्स में होने वाली दर्द से छुटकारा पाने के लिए अजवाइन का पानी बहुत लाभदायक है । रात को 1 गिलास पानी में 1 चम्मच अजवाइन भिगो कर रख दें । सुबह पानी को पी लें ।
  • गठिया यानी जोड़ो का दर्द । गठिए के रोगी को रोज़ाना अजवाइन के तेल के साथ जोड़ो की मालिश करनी चाहिए । इससे आराम मिलेगा ।
  • दस्त में अजवाइन सबसे बढ़िया घरेलू उपाय है । 1 गिलास पानी में 1 चम्मच अजवाइन डाल कर उबाल लें और इसे छान कर ठंडा कर लें । इस पानी को दिन में 2 - 3 बार पीने से दस्त ठीक हो जाते है ।
  • मुंहासे के निशान-एक छोटा चम्मच अजवाइन का पाउडर और एक बड़ा चम्मच दही को अच्छे से मिक्स करके पेस्ट बना लें । इसे रात को सोने से पहले चेहरे पर आधे घंटे के लिए लगाएं । इसके बाद इसे गुगगुने पानी से धो लें । इसके इस्तेमाल से चेहरे पर मुहासो के निशान हल्के हो जाएगें ।
  • सर्दी और जुकाम-मौसम में बदलाव के कारण सर्दी और जुकाम हो जाता है । ऐसे में पिसी हुई अजवाइन को सुंघने से राहत मिलती है । 
  • यह माइग्रेन नें भी फायदेमंद है ।घाव, दाद, खुजली, फुंसियाँ आदि चर्मरोग भी नष्ट होते हैं। पाचन दरुस्त करता है, पाचन क्रिया के शिथिल पड़ने पर अजवायन का सेवन काफी फायदेमंद है । 
  • इसका  मसाले  बीज, फूल, पत्ते, तेल और अर्क के रूप में प्रयोग  किया जाता है। इसको चूर्ण, काढ़ा, क्वाथ और अर्क के रूप में भी काम में लाया जाता है। 
  • अजवायन की पत्ती का दिलकश स्वाद होता है । इसी कारण इसका ( पत्ती) इतालवी व्यंजनों में,जेसे पिज्जा पास्ता आदि। अजवायन की पत्ती में एंटी बैक्टीरियल गुण है जो कि संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। अजवायन की ताजा पत्ती में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व और विटामिन है. विटामिन सी, विटामिन ए, लोहा, मैंगनीज और कैल्शियम और साथ ही युक्त ओमेगा -3 फैटी एसिड का एक अच्छा स्रोत है। अजवायन से कैलशियम, फासफोरस, लोहा सोडियम व पोटेशियम जैसे तत्व मिलते हैं। 
  • यह एक उत्कृष्ट एंटीऑक्सिडेंट है, अजवायन मोटापे को कम करने में भी मदद करती है। सर्दियों के मौसम में सर्द से बचने के लिए अजवायन एक सफल औषधि है। 
  • जंगली अजवायन की पत्ती का तेल श्रेष्ट माना गया है प्रतिरक्षा प्रणाली को दृढ़ करता है,श्वसन किर्या को दरुस्त करता है जोड़ों और मांसपेशियों का लचीलापन बढाता है और त्वचा को संक्रमण से बचाता है ।

Monday, February 20, 2017

स्तनों में दूध बढ़ाने के उपाय,How to increase Breast milk Production in Hindi,

स्तनों में दूध बढ़ाने के उपाय,How to increase Breast milk Production in Hindi
माँ के दूध को शिशु की रोग निरोधक क्षमता के लिए पहली रामबाण औषधि माना जाता हैं। नवजात के लिए मां का दूध औषधि व पौष्टिकता से पूर्ण होता है। जिन बच्चों को जन्म के पहले छह महीनों के दौरान सिर्फ़ माँ का दूध पिलाया जाता है उनके जीवित रहने की सम्भावना 14 गुना ज़्यादा होती है. जबकि जिन बच्चों को माँ का दूध नहीं पिलाया जाता है, पहले छह महीनों के दौरान उनके जीवन को 14 गुना ज़्यादा ख़तरा होता है. जन्म के बिल्कुल बाद से ही माँ का दूध पिलाना शुरू करने से शिशु की मौत का ख़तरा 45 प्रतिशत तक कम हो जाता है. माँ का दूध अच्छी तरह से मिलने से बच्चे में तेज़ी से सीखने की क्षमता बढ़ती है, साथ ही इससे बच्चे के मोटा होने का ख़तरा कम होता है और आगे चलकर जीवन में अनेक बीमारियों से भी सुरक्षा रहती है.

यह एक गंभीर विषय है अगर माँ अपने नवजात बच्चे के लिए भरपूर मात्रा में दुग्ध अपने स्तनों से उपलब्ध नहीं करवा पाती है तो बच्चे के पोषण में कमी आ सकती है. इसलिए प्रत्येक माता ये चाहती है की उसके सतनों से कम से कम इतना दूध जरूर निकले की उसका बच्चा अपना पेट भर पाये और उसको किसी भी प्रकार से पौषक तत्वों की कमी न हो. इसके लिए समझदार माता गर्भधारण करने के बाद से ही अपने खान पान पर ध्यान देने लगती है ताकि वो एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सके. अगर माता अपना दूध बच्चे को पिलाती है तो उसके बच्चे भी उसके प्यार को पाकर प्रसन्न हो जाते है बच्चा समझने लगता है की उसका भोजन उसकी माता के दूध पर ही निर्भर है इसलिए वो बच्चा अपनी माँ को देखते ही प्रसन्नचित हो जाता है.

 जन्म के 1 घंटे तक शिशु में स्तनपान करने की बहुत इच्छा होती है। बाद में उसे नींद आने लगती है। इसलिए जन्म के बाद जितनी जल्दी माँ अपने बच्चे को दूध पिलाना शुरू कर दे उतना ही अच्छा है। आमतौर पर जन्म के 45 मिनट के अंदर स्वस्थ बच्चे को स्तनपान शुरू कर देना चाहिए।

स्तनों में दूध बढ़ाने के उपाय,Food to Increase Breast Milk in Hindi,

  • शतावर का चूर्ण रोजाना 3 से 5 ग्राम गाय के दूध के साथ सेवन करने से माँ के दूध में वृद्धि होती है और जिन माताओं का दूध सुख जाता है या कम हो जाता है इसके सेवन से स्तनों में दूध उतर जाता है
  • तुलसी के सेवन करने से न केवल बीमारियां ठीक हो जाती है बल्कि यह स्तन क दूध को बढ़ाने में भी मददगार होता है। इसके अंदर विटामिन क की मात्र अधिक पायी जाती है। आप इसको सूप म या कच्चे शहद के साथ भी खा सकते है।
  • करेला में विटामिन और मिनरल अच्छी मात्रा में पाये जाते है। इससे स्तन का दूध बढ़ने की क्षमता बढ़ जाती है। करेला बनाते वक़्त हलके मसालों का उपयोग करना चाहिए, जिससे यह आसानी से हजम हो सके और आप स्वस्थ रह सके।
  • लहसुन खाने से भी दूध बढ़ाने की क्षमता बढ़ जाती है। कच्चा लहसुन खाने से जगह आप इसको मीट, करी, सब्जी या दाल में डाल कर पकाये। अगर आप लहसुन को रोज़ाना खाना शुरू करेगी तो यह आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा।
  • एक चम्मच सफेद जीरे का चूर्ण ले और इस चूर्ण मे एक चम्मच मिश्री को पीसकर मिलाकर रोजाना एक गिलास हल्के गर्म दूध के साथ पीने माँ के दूध में वृद्धि होती है इस चूर्ण का प्रयोग सुबह और शाम के समय प्रयोग करें | इसके आलावा सफेद जीरे में चावल मिलाकर इसकी खीर बनाकर खाने से माँ के दूध में वृद्धि होती है
  • शतावर का चूर्ण गर्भवती महिला यदि अपनी गर्भा अवस्था के समय में प्रयोग करें तो प्रसव होने के बाद माँ के दूध में कमी नहीं होगी | प्रसव होने के बाद भी महिलाओं को शतावर का चूर्ण का प्रयोग करते रहना चाहिए | इस चूर्ण को रोजाना 50 – 50 ग्राम की मात्रा में गाय या भैस के दूध के साथ सेवन करे |इसके रोजाना प्रयोग से माँ के दूध में कमी नहीं होती
  • एक कप पानी में एक चम्मच जीरा मिलाकर भिगो कर रख दे , एक घंटे बाद इसको छानकर पी ले , ऐसा करने से आपके स्तनों के दूध में वर्धि होगी.
  • मटर की सब्जी ज़्यादा खाए, कच्चे मटर खाने से भी दूध में वृद्धि होती हैं।
  • शिशु जन्म के बाद यदि स्त्री के स्तनों से दूध पर्याप्त ना निकले तो उसको उड़द की दाल खिलानी चाहिए।
  • जीरा भूनकर सुबह शाम मिश्री से साथ 1 चम्मच ले।
  • अरहर की दाल में यथेष्टि घी मिलाकर पिलाने से स्त्री के स्तनों में दूध की मात्रा बढ़ जाती हैं।
  • दूध में चने भिगो कर खिलाये।
  • नासपाती, अंगूर, चीकू, पपीता के सेवन से भी स्तनों में दूध की वृद्धि होती हैं।
  • रात को गेंहू भिगो कर रखे दे, सुबह उन्हें हाथो से अच्छी तरह मसल कर गुड के साथ खाए और ऊपर से वह पानी पी ले।

हाथ और पैरों के तलवों में जलन,Home Remedies For Burning Feet In Hindi,

हाथ और पैरों के तलवों में जलन,Pairo-ke-Taluo-ki-Jalan-Dur-Karane-ke-Upay
अक्सर कई लोगो को हाथो और पैरो में जलन होती हैं, वैसे तो ये समस्या गर्मियों में अधिक होती हैं, मगर कई बार कुछ बीमारियो के कारण ये सर्दियों में भी होती हैं। आज हम आपको बताएँगे इसके कारण और इसके सरल उपचार।

पैरों में जलन के कारण ,Causes of Burning Legs 

  • तंत्रिका तंत्र में शिथिलता या कमजोरी 
  • मधुमेह
  • अधिक शराब का सेवन 
  • विषाक्त पदार्थों का सेवन 
  • विटामिन बी, कैल्शियम और फोलिक एसिड की कमी 
  • किडनी रोग
  • पैर सिंड्रोम
  • अधिक गर्म दवाओं का सेवन
  • रक्त प्रवाह का कम होना  

हाथ और पैरों के तलवों में जलन,Pairo-ke-Taluo-ki-Jalan-Dur-Karane-ke-Upay

  • करेला : करेले के पत्तों का रस निकालकर पैरों के तलुवों पर इसकी मालिश करने से पैरों की जलन दूर हो जाती है। करेले के पत्तों को पीसकर पैरों पर लेप करने से भी इस रोग में लाभ होता है।
  • सरसो का तेल और लहसुन : सरसो के तेल में 3-4 लहसुन की कलियाँ काट कर तब तक गरम करे जब तक लहसुन की कलियाँ काली ना पड़ जाये। फिर उस तेल से हथेली और पैरो के तलवो में मालिस करने से जलन में आराम मिल जायेगा। सरसो के तेल में अनामिका ऊँगली को डुबो कर अपनी नाभि पर लेटकर गोल गोल तब तक घुमाए जब तक नाभि सारा तेल ना सोख ले। यह दोनों सबसे उत्तम तरीके है जलन से निजात पाने के।
  • लौकी : लौकी को काटकर इसके गूदे को पैरों के तलुवों पर लगाने से पैरो की गर्मी, जलन आदि दूर हो जाती है।
  • सरसों : हाथ-पैरों या पैरों के तलुवों में जलन होने पर सरसों का तेल लगाने से लाभ होता है। 2 गिलास गर्म पानी में 1 चम्मच सरसों का तेल मिलाकर रोजाना दोनों पैर इस पानी के अंदर रखें। 5 मिनट के बाद पैरो को किसी खुरदरी चीज से रगड़कर ठण्डे पानी से धोने से पैर साफ रहते हैं और पैरों की गर्मी दूर होती है।
  • मेहंदी : गर्मी के मौसम में जिन लोगों के पैरों में लगातार जलन होती रहती है उनकें पैरों में मेंहदी लगाने से उनकी जलन दूर हो जाती है।
  • आम : आम की बौर (फल लगने से पहले निकलने वाले फूल) को रगड़ने से हाथों और पैरों की जलन समाप्त हो जाती है।
  • धनिया : सूखे धनिये और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। फिर इसको 2 चम्मच की मात्रा में रोजाना 4 बार ठंडे पानी से लेने से हाथ और पैरों की जलन दूर हो जाती है।
  • मक्खन : मक्खन और मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर लगाने से हाथ और पैरों की जलन दूर हो जाती है। 
  • कतीरा (कतीरा एक प्रकार का गोंद होता है) : 2 चम्मच कतीरा को रात को सोने से पहले 1 गिलास पानी में भिगों दें। सुबह कतीरा के फूल जाने इसको शक्कर के साथ मिलाकर रोजाना खाने से हाथों और पैरों की जलन दूर हो जाती है। वैसे तो यह हर मौसम में काम आता है लेकिन गर्मियों में बहुत ही लाभदायक होता है।
  • विटामिन : शरीर में विटामिन बी-1 की कमी के कारण भी पैरो के तलुओ में जलन होती हैं इसलिए भोजन में विटामिन बी-1 का इस्तेमाल करे। इसके लिए मटर, हरी सब्जिया, आलू, दूध, अंकुरित गेंहू, काजू इसके अच्छे स्त्रोत हैं।
  • ब्लड शुगर : अपनी ब्लड शुगर की भी जांच ज़रूर करवाये, कुछ रोगियों को ब्लड शुगर के कारण ऐसी समस्याओ का सामना करना पड़ता हैं।

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