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Sunday, January 24, 2016

हृदय रोग से बचाव के उपाय -Heart Disease in Hindi,

 

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आज विश्व की आबादी के 90 प्रतिशत व्यक्ति हृदय रोग से पीड़ित है जो अनियमित भोजन, अनियमित दिनचर्या के साथ फास्ट फूड अत्यधिक प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से एसिडिटी, गैस, उच्च रक्तचाप, मोटापा तथा मधुमेह जैसे रोग के साथ हृदय रोग की उत्पत्ति करता है, जिसमें एंजायना पेन, हार्ट अटैक, आर्टी चोक, ब्लडप्रेशर जैसे प्रमुख रोग हैं। 

प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों के अत्यधिक सेवन से कोलस्ट्रॉल की उत्पत्ति होती है जो रक्तवाहिनी के शिराओं में मोम की तरह जमा होकर रक्त के प्रवाह में बाधा उत्पन्न कर साँस लेने में कठिनाई पैदाकर एंजायना पेन को जन्म देता है। इसमें यकृत (लीवर) की भूमिका महत्वपूर्ण होती है जो प्रोटीन, ग्लूकोज आदि पदार्थों को घुलनशील बनाकर स्वास्थ्य के उपयोगी बनाती है। आर्टी चोक में 60 से 85 प्रतिशत रोगी आयुर्वेद के उपचार तथा खानपान को नियंत्रित कर बिना किसी शल्यक्रिया के आजीवन स्वास्थ्य रह सकते हैं। 

अनियमित खानपान तथा लंबे समय तक कब्ज की स्थिति में जब भोजन का पाचन नहीं होता और भोजन आमाशय तथा अन्य पाचन अंगों में एकत्र होकर सड़न पैदा कर देता है जिससे एक प्रकार के विषाक्त पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है और वह रक्त के साथ यूरिन एसिड में परिवर्तित होकर गुर्दों में जाकर छनन क्रिया में बाधा उत्पन्न कर देता है। 

जब किडनी से छनन क्रिया भरपूर ढंग से नहीं हो पाती तो यूरिया, प्रोटीन तथा अन्य द्रव्य रक्त के साथ हृदय में पहुँच जाते हैं जिससे रक्त में गाढ़ापन आ जाता है। नतीजतन आँखों के नीचे, पैरों में तथा घुटनों में सूजन के साथ-साथ संधिवात तथा उच्चरक्त चाप की वृद्धि हो जाती है। 

ऐसी स्थिति में एलोपैथी चिकित्सक लेसिक्स तथा अन्य हाई डोज दवाएँ देते हैं जिससे रोगी में पेशाब की मात्रा बढ़ जाती है। इससे प्रोटीन कैल्सियम जैसे आवश्यक तत्व शरीर से बाहर हो जाते हैं और रोगी अत्यंत कमजोर हो जाता है और तब रोगी को प्रोटीनयुक्त पदार्थ तथा इंजेक्शन देना पड़ता है। 

किंतु आयुर्वेद में सामान्य रूप से अरंड तेल की 25 एमएल की मात्रा से उसकी स्थिति ठीक हो जाती है और सारे लक्षण स्वतः समाप्त हो जाते हैं। इसी तरह लंबे समय तक बढ़ा हुआ रक्तचाप हृदयवृति या हृदय प्रसार को जन्म देता है जिससे हृदय का निचला हिस्सा बढ़ जाता है। 

परिणाम यह होता है कि शुद्ध रक्त फेफड़ों तथा मस्तिष्क में भेजने वाले वॉल्व जल्दी नहीं खुल पाते जिससे रोगी साँस लेने में कठिनाई का अनुभव करता है। ऐसी स्थिति में रोगी को धीरे-धीरे तथा लंबी साँस के साथ दोनों हाथ ऊपर-नीचे करने चाहिए जिससे वॉल्व खुल जाते हैं तथा रक्त का संचार होने लगता है और रोगी राहत महसूस करता है।

हृदय रोग के लक्षण

  • ज्यादा तेज चलने, सीढ़ियाँ चढ़ने या साइकिल आदि चलाने से सांस फूलना, कमजोरी व थकान लगना, पसीना अधिक आना, सीने में दर्द होना, मिचली आना, पैरों में सूजन हो जाना, दिल की धड़कन बढ़ना, घबराहट होना, रात में नींद कम आना व अचानक खुलने पर नींद न आना आदि होने से समझ लें कि आपको हृदय रोग पकड़ रहा है। इसलिये समय रहते तुरन्त चिकित्सक से सम्पर्क करंे। ऐलोपैथी में अनेकों दवायें खून पतला करने की एवं हृदय को ताकत देने की हैं और जब यह दवायें काम नहीं करती हैं तो आपरेशन ही अन्तिम विकल्प बचता है

खानपान 

  • भोजन के साथ अदरख, लहसुन, सोंठ, मिर्च, पीपल, लौंग, तेजपत्ता, सेंधा नमक का उपयोग करें। रात्रि में दूध में उबलते समय छोटी पीपल, जायफल तथा हल्दी का चूर्ण 2-2 ग्राम केशर के साथ डालकर सोने से पूर्व प्रयोग करें। खानपान में पुराना गेहूँ, जौ, चना (देशी) अंकुरित दालें, मूँग की दाल, मसूर की दाल, सेम, मटर की फली, बींस, फलों में पपीता, अनार, मुनक्का, अँगूर आदि पाचन तंत्र को मजबूत करते हैं।ये घुलनशील रेशेदार खाद्य पदार्थ ग्लूकोज, कोलस्ट्रॉल को नियंत्रित करते हैं। वहीं प्रातः-रात्रि अर्जुन नाग केशर, दालचीनी, पुष्कर मूल, जटामाँसी तथा गुगलू (शुद्ध) शिलाजीत युक्त औषधि रोगी को रोग मुक्त कर दीर्घजीवी बनाते हैं।

हृदय रोग से बचाव के उपाय -Heart Disease in Hindi

  • तनावमुक्त रहते हुए, शाकाहारी भोजन को पूर्णतः अपने जीवन में अपनाकर काफी हद तक हृदय रोग से बचा जा सकता है। इस सम्बन्ध में निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखें।
  • शरीर की आवश्यकता के अनुसार ही कम चिकनाईयुक्त आहार लेना चाहिए। 40वर्ष की उम्र  के बाद आ वश्यकता से अधिक खाना स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक है। नसों में अत्यधिक चर्बी के जमाव को रोकने के लिए चोकरयुक्त आटे की रोटियाँ, ज्यादा मात्रा में हरी सब्जियाँ, सलाद, चना, फल आदि का उपयोग करंे।
  • खाने में लाल मिर्च, तीखे मसाला आदि एक निर्धारित मात्रा में ही सब्जी में डालें तथा ज्यादा तली चीजें, तेल युक्त अचार आदि बहुत कम मात्रा में लें। एक बार में ज्यादा खाना न खाकर आवश्यकतानुसार थोड़ा-थोड़ा कई बार खाना खायें।
  • सूर्योदय के पहले उठना, धीरे - धीरे टहलना, स्नान आदि करके हल्के योग एवं ध्यान आदि प्रतिदिन करना चाहिये।
  • मांसाहार, अण्डे, शराब व धूम्रपान, तम्बाकू आदि से पूर्णतः अपने आपको बचायें। ये हृदय एवं शरीर के लिये अत्यन्त घातक हैं इसलिये इनका भूल कर भी सेवन न करें।
  • सदा ही प्रसन्न रहने की कोशिश करें, क्रोध बिल्कुल न करें, सदा हंसते रहें।हृदयरोगी मांसाहार, धूम्रपान, शराब, अत्यधिक चाय, कॉफी, फास्ट फूड, जंकफूड, सॉस, तली सब्जियाँ, चिप्स, डिब्बाबंद भोजन, चीज, खोया, मलाई, मक्खन तथा अंडे की जर्दी, नारियल का तेल, चॉकलेट, आइसक्रीम आदि से बचें। अपने को हृदय रोग से बचाने हेतु तनाव मुक्त प्रसन्न

1 comment:
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  1. Remove heart disease and improve blood circulation with natural heart care supplement. It is suitable for people of all ages.

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