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Sunday, March 20, 2016

शुक्राणु बढ़ाने के घरेलू उपाय,वीर्य की मात्रा बढ़ाएँ,वीर्य पतला-Infertility in Men,

 


शारीरिक और मानसिक असंतुलित की स्थिति में शरीर के अंदर वीर्य नहीं बन पाता या ठहर नही पाता और इस कारण शरीर तेजहीन, उदास और निष्काम हो जाता है। ऐसी स्थिति में वीर्य बन भी जाता है तो पतला या बिना शुक्र के ही बन पाता है और इसे हम वीर्य की कमी कहते है। पुरुष के वीर्य में शुक्राणु होते हैं। ये शुक्राणु स्त्री के डिम्बाणु को निषेचित कर गर्भ धारण के लिये जिम्मेदार होते हैं। वीर्य में इन शुक्राणुओं की तादाद कम होने को शुक्राणु अल्पता की स्थिति कहा जाता है। शुक्राणु अल्पता को ओलिगोस्पर्मिया कहते हैं। लेकिन अगर वीर्य में शुक्राणुओं की मौजूदगी ही नहीं है तो इसे एज़ूस्पर्मिया संग्या दी जाती है।

 वीर्य के कमी होने के कारण

  • हस्थमैथुन करना
  • अधिक सहवास करना
  • खान-पान में सही देखभाल ना करना
  • स्वप्नदोष होना
  • कमजोरी महसूस होना
  • मानसीक कमजोरी
  • चिंता करना आदि।
  • तमांखु , बीड़ी , सिगरेट , शराब सेवन करना ।
  • गर्म मिर्च मसालेदार पदार्थ और मास, अंडे आदि ।

वीर्य पतला-,Men infertility Treatment

  • बेल की जड़ की छाल को सफ़ेद जीरे के साथ पीसकर घी में मिलाकर सुबह शाम पिने से वीर्य का पतलापन दूर होता है।
  • शतावरी का चूर्ण 10 ग्राम चीनी और दूध के साथ सुबह शाम सेवन करने से वीर्य के दोष दूर होते है।
  • गूंजा की जड़ 2 ग्राम को दूध में पकाकर रोज रात को खाना खाने से पहले खाने से वीर्य के दोष दूर होते है।
  • हत्था जोड़ी के पंचांग के मिश्रण 40 ग्राम से 80 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम खाने से वीर्य दोष दूर होता है।
  • सिंघाड़े के आटे में बबूल का गोंद, देसी घी और मिश्री मिलाकर लगभग 30 ग्राम मात्रा में गर्म दूध के साथ लेने से वीर्य बढ़ जाता है।
  • तुलसी के बिज 60 ग्राम और मिश्री 75 ग्राम ले। इन दोनों को पीसकर सुरक्षित रख लेते है। इसमे प्रतिदिन 3 ग्राम चूर्ण गाय के दूध से सेवन करना चाहिए।
  • सफ़ेद मूसली और शक्कर बराबर मिलाकर चूर्ण कर ले और रोज सवेरे गाय के दूध के साथ खाने से लाभ मिलता है।
  • वीर्य अधिक पतला होने पर 1 चम्मच शहद में एक चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर रोजाना सुबह के समय खाली पेट सेवन करना चाहिए। इसका विस्तृत रुप से इस्तेमाल करने से संभोग करने की शक्ति बढ़ जाती है।आयुर्वेद में भी क्रियात्मक क्षमता बनाए रखने की बहुत सी दवाएं हैं
  • सुबह सुबह खाली पेट आंवला और एलोवीरा का रस पीजिये १०-१० मिली एक गिलास पानी के साथ 
  • नाश्ते के बाद शुद्ध शिलाजीत सत्व एक बूंद दूध से लीजिये ।
  • एक चम्मच असली बादाम पाक कागजी बादाम से बना हुआ लें इससे वीर्य बहुत गाढा हो जाता है
  • दोपहर को खाने के बाद शुद्ध कौंच पाक एक चम्मच लें।
  • शाम को अशवगंधा चूर्ण एक चम्मच दूध से लें ।
  • वीर्य वर्धक वटी २ गोली जल के साथ ले।
  • शाम को शुक्र संवर्धन वटी एक गोली लें।
  • काम चूणामणि रस एक गोली लें ।
  • शतावर चूर्ण एक चम्म्च लें
  • रात को सोने से पहले सर्व्कल्प चूर्ण गर्म पानी से लें
  • १०ग्राम अश्वगंधा तेल +ग्राम मालकांगनी तेल +१०ग्राम निर्गुन्डी तेल +१० ग्राम श्रीगोपाल तेल उसमे एक ग्राम असली केशर ५ ग्राम दालचीनी पाउडर ५ग्राम जायफल पाउडर डालकर अच्छी तरह मिला लें और नहाने के बाद लिंग को पोंछ्कर सुखाकर खींच खींच्कर मालिश करें इससे लिं लौहलठ्ठ और मजबूत तथा पुष्ट होता है ये बहुत अजमाया हुआ हैवसंत मालती 
स्त्री-पुरूष् दोनों में शारीरिक क्षमता और दुर्बलता, चाहे किसी कारण भी हो, नाशक स्वर्ण तथा मोती युक्त ओषधि है। ज्वरों के पश्चात के दौर्बल्य में भी अत्यंत उपयोगी है।

  • वसंत कुसुमाकर-बलवर्घक, कामोत्तेजक, मधुमेह नियंत्रक के रूप में प्रयुक्त होता है। इसमें सोना, मोती, कस्तूरी, चांदी आदि प्रयुक्त होते हैं.
  • वसंत तिलकरस,-विशेष् रूप से पुरूष् द्वारा उपयुक्त बलवर्घक वाजीकरण तथा कामोद्दीपक, स्वर्णमुक्ता आदि प्रधान औष्धियां हैं। वृहऊंगेश्वस, वंगेश्वर दोनों ही मूल्यवान दवाइयां हैं। स्त्रियों के जननांगों के रोगों, श्वेत प्रदर, कामशीतलता आदि तथा पुरुषों के दुर्बलता शीघ्रपतन, शुक्रमेह आदि में लाभदायक दवाएं हैं।
  • शक्रवल्लभ रस-पुरुषों द्वारा अधिक सेवनीय बलवर्घक पौष्टिक उत्तेजक वाजीकर औषधियाँ हैं। इसमें भी सोना, मोती आदि मूल्यवान दवाएं डाली जाती हैं।
  • शतावरी मोदक-प्रमुख रूप से स्त्रियों द्वारा सेवन की जाने वाली यह औषधि शक्तिवर्घक स्तन रोग नाशक जननांगों के प्रदरों व गर्भाशय शिथिलता नाशक है।
  • शिलाजीत शुद्ध-स्त्रियों व पुरुषों के सभी रोगों में उपयोगी। निरंतर प्रयोग से सभी रोग होने से रोकता है। बुढ़ापा थामता है दीर्घजीवन देता है।
  • शुक्रमातृकावटी व शिवा गुटिका-अधिकतर पुरुषों को वीर्यविकारों, मूत्ररोगों, वायुविकारों, प्रोस्टेट वृद्धि आदि में दिया जाता है। शिव गुटिका स्त्रियों के कमरदर्द, थकान और मूत्र रोगों में उपयोगी है। मदनानंद मोदक, नारी गुटिका, कौंचपाक, मूसलीपाक, मदनमोदक ये दवाइयां पुरुषों द्वारा विशेष कर यौन शक्ति वृद्धि बनाए रखने व पूरे वर्ष के लिए पुष्टि प्रदान के लिए प्रयुक्त होती है।
इनमें कुछ नशीले पदार्थ भांग, अफीम आदि में प्रयुक्त किए जाते हैं। कामेश्वर, कामचूड़ामणि, मन्मथ रस ये स्त्री व पुरुषों दोनों के लिए समान रूप से उपयोगी है।
शक्ति, बल सामथ्र्य तथा कार्यक्षमता वर्घक बलवर्घक दवाइयां हैं।ये सामान्यत: नीम-हकीम तथा बिना चिकित्सक के परामर्श से इनका प्रयोग नौजवान लड़के ज्यादा करते हैं।
रतिवल्लभ मूंगपाक, सौभाग्यशुंठी ये दोनों दवाइयां मुख्यत: स्त्रियों के सेवनार्थ बनी हैं। प्रथम ये दवाये जननांगों को शक्ति, पुष्टि संकोच, गर्भाधान योग्य बनाती हैं। सोहाग सोंठ प्रसव के बाद की दुर्बलता, पीड़ा कमरदर्द, थकान, ज्वर को मिटाती है।
आयुर्वेद में कामोत्तेजक, स्तंभक, वाजीकरण शक्तिवर्घक तथा स्त्री के स्त्रीत्व को पुष्पित और प्रशस्त रखने वाली दवाओं की कमी नहीं है।
ध्यान रहे -आयुर्वेदिक चिकित्सक से विचार - विमर्श ज़रूर कर ले।

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