एचआईवी और एड्स के बारे में कुछ तथ्य-What is HIV in Hindi,HIV Symptoms,Information,
एचआईवी और एड्स का प्रसार लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इसने अब महामारी का रूप ले लिया है। ताजा आंकड़ों के अनुसार पूरी दुनिया में 33.3 मिलियन लोग एचआईवी और एड्स से ग्रसित हैं। लगभग पांच साल पुराने आंकड़ों के अनुसार पूरी दुनिया में 1.8 मिलियन लोग एड्स के शिकार होकर मौत के मुंह में चले गए। लगभग 16.6 मिलियन बच्चे इस बीमारी के कारण अनाथ हो गए।
इस बीमारी को लाइलाज माना गया है। इससे बचाव तभी संभव है, जब लोग इसके बारे में जागरूक हों। एचआईवी और एड्स के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक्टिविस्ट्स, डॉक्टर्स, सरकारें और नागरिकों के संगठन भी कार्यरत हैं।
एड्स के कारण (Due to AIDS) एड्स रोग के होने के कारण
- एड्स से संक्रमित स्त्री के साथ बिना कंडोम आदि के प्रयोग के सेक्स करने से दूसरे व्यक्ति को भी एड्स रोग लग जाता है।
- एड्स रोग से ग्रस्त व्यक्ति का खून अगर किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में चढ़ा दिया जाए तो उसे भी एड्स रोग हो जाता है।
- एच.आई.वी. अर्थात एड्स के रोगी को लगे इंजैक्शन को अगर किसी स्वस्थ व्यक्ति को लगा दिया जाए तो उसके विषाणु उस व्यक्ति के शरीर में पहुंचकर उसे भी इस रोग से ग्रस्त कर देते हैं।
- एच.आई.वी. अर्थात एड्स के संक्रमण से ग्रस्त महिला के द्वारा जन्म देने वाले बच्चे को भी यह रोग लग सकता है।
- एड्स रोग फैलाने में योनि मैथुन से संभोग करने की अपेक्षा गुदामैथुन से संभोग करना ज्यादा भागीदारी निभाता है क्योंकि मलाशय की परत योनि की परत से ज्यादा पतली होती है जिनमें संभोग करते समय स्ट्रोकों के कारण खरोंच लगने या दरार पड़ने का खतरा ज्यादा रहता है
- इसलिए गुदामैथुन करते समय एड्स से ग्रस्त रोगी के विषाणु वीर्य के जरिये उसके सहभागी के शरीर में बहुत ही आसानी से पहुंच जाते हैं।
एड्स रोग के लक्षण-
- एच.आई.वी. अर्थात एड्स के विषाणु जैसे ही किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पहुंचते हैं उसके कुछ सप्ताह बाद उस व्यक्ति को बुखार, पूरे बदन में दर्द, सिर में दर्द और फ्लू आदि जैसे लक्षण प्रकट हो जाते हैं।
- लेकिन हर तरह के व्यक्तियों के लिए इन लक्षणों को सहीं नहीं माना जा सकता है क्योंकि कुछ समय के बाद यह लक्षण अपने आप ही गायब हो जाते हैं।
- इसके बाद लगभग 3 से 12 साल तक किसी तरह के लक्षण नजर नहीं आते इसलिए रोगी को ऊपर से देखकर यह कहना बहुत ही मुश्किल हैकि यह एड्स रोग से ग्रस्त है इसके साथ ही इस रोग के बारे में एक बात और भी ध्यान देने वाली यह है कि यह रोग जब किसी व्यक्ति को होता है तो उसके शरीर में रोगों से लड़ने की ताकत समाप्त हो जाती है।
- एड्स रोग होने पर रोगी की लसीका ग्रंथियां सूज जाती हैं। इसके साथ ही उसकी जांघों, बगल और गले आदि में भी सूजन के साथ गांठे निकल आती हैं।
- एड्स से ग्रस्त रोगी को बार-बार बुखार आता-जाता रहता है।
- रोगी रात को सोता है तो उसका पूरा शरीर पसीने से भीग जाता है।
- रोगी को कई तरह के छोटे-मोटे रोग लग जाते हैं जो जल्दी ठीक होने का नाम नहीं लेते। इसके साथ ही दिन पर दिन उसका वजन कम होने लगता है।
- रोगी को हल्का सा वजन उठाने में या कहीं ज्यादा दूर पैदल जाने में ही शरीर में भारी थकावट हो जाती है। कई बार तो बिना किसी कारण के ही रोगी को अपना पूरा शरीर टूटा-टूटा सा महसूस होता है।
- रोगी को बार-बार दस्त आने लगते हैं।
- एड्स से ग्रस्त रोगी के मुंह और भोजन की नली में फंफूदी के कारण जख्म से बन जाते हैं।
- रोगी के मस्तिष्क में संक्रमण हो जाता है।
- एच.आई.वी. अर्थात एड्स से ग्रस्त रोगी के शरीर में रोगों से लड़ने की ताकत दिन पर दिन कम होती जाती है जिसके कारण उसके शरीर में निमोनिया के विषाणु प्रवेश कर जाते हैं। इसके बाद धीरे-धीरे रोगी के शरीर की त्वचा सूखने लगती है और वह मौत के करीब पहुंच जाता है।
- लगातार थकान
- रात sweats
- वजन में कमी
- लगातार डायरिया
- दृष्टि blurred
- जीभ या मुँह (leukoplakia) पर सफेद धब्बे
- सूखी खांसी
- सांस की तकलीफ
- 37 C (100F) कि सप्ताह के नंबर एक रहता है ऊपर का बुखार
- सूजन ग्रंथियों कि अधिक से अधिक तीन महीनों के लिए पिछले
- सूजी हुई लिम्फ नोड्स के साथ बुखार
- कमजोरी
- अस्वस्थ महसूस कर
- शरीर में दर्द
- सिर में दर्द
- गले में खराश
- डायरिया
- लाल चकत्ते
- तंत्रिका क्षति या दर्द
नई दवाओं की खोज.
विश्व का दवा उद्योग अभी कम से कम 100 नई दवाओं और टीकों पर काम कर रहा है। नई दवाएं एचआईवी वायरस से लड़ने में ज्यादा सक्षम पाई गई हैं। यह सिर्फ एड्स से प्रभावित सेल्स पर ही असर डालता है और स्वस्थ कोशिकाओं पर काम नहीं करता। पहले की दवाएं वायरस से प्रभावित कोशिकाओं को खत्म करने के साथ ही स्वस्थ कोशिकां पर भी असर डाल देती थीं। साथ ही, ड्रग इंडस्ट्री ऐसी दवाओं की खोज में है जो सामान्य किस्म के हों और जिनका उपयोग करना भी आसान हो। ऐसी दवाएं विकसित की जा रही हैं जो प्रतिदिन एक डोज वाली हों
क्या यह अमेरिकी बीमारी है.
जब 1980 के दशक में एड्स का प्रसार हुआ तो सोवियत यूनियन ने यह प्रचार शुरू किया कि अमेरिका ने जानबूझकर पूरी दुनिया में यह बीमारी फैलाई है। यद्यपि यह एकदम झूठा प्रचार था, पर बहुत सोवियत नागरिकों ने बिना सोचे-समझे इस झूठ पर यकीन कर लिया।
सुरक्षा तंत्र भी विकसित हो जाता है
समय के साथ, वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि कुछ संक्रमित लोगों में इस वायरस के प्रति इम्यूनिटी भी पैदा हो जाती है। संक्रमित होने के बाद भी वो दशकों तक इस वायरस से लड़ते हैं और उनके स्वास्थ्य पर इसका कोई खास असर दिखाई नहीं पड़ता। यह इम्यूनिटी एक निश्चित प्रकार की कोशिका में होती है जिसे cd8+t सेल कहते हैं। ये सेल एड्स से संक्रमित कोशिकाओं में प्वॉइज़न इंजेक्ट कर देते हैं। इससे वैज्ञानिकों को यह लग रहा है कि इस इम्यूनिटी वाले सेल से एड्स से लड़ने के लिए भावशाली दवा बनाई जा सकती है
कौन होते हैं सबसे ज्यादा प्रभावित
एड्स का मुकाबला करने के लिए वैज्ञानिक पूरा जोर लगा रहे हैं। लगातार नए अनुसंधान किए जा रहे हैं, पर पूरी दुनिया में एड्स का प्रभाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। सिर्फ अमेरिका में 25-44 आयु वर्ग की अश्वेत महिलाओं की मृत्यु के लिए यह सबसे प्रमुख कारण बन गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि महिलाओं और बच्चों में एड्स का बढ़ता प्रसार बहुत ही चिंता का विषय है।
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