सीताफल एक लाजवाब, स्वादिष्ट और मीठा फल होने के साथ-साथ अपने मेंअनगिनत औषधीय गुणों को शामिल किए हुए है। सीताफल (शरीफा ) एकमीठा फल है इसमें काफी मात्र में कैलोरी होती है जो और अल्सर व अम्ल पित्तके रोग में ज्यादा लाभकारी होता है । पूरे शरीर को स्वस्थ और बीमारियों से दूररखने का यह एक बहुत ही आसान उपाय है। सीताफल में वजन बढ़ाने कीक्षमता भरपूर होती है आपको बस सीताफल को अपनी डाइट का हिस्सा बनानाहै और आपका मनचाहा फिगर आप पा सकेंगे बहुत ही जल्दी। सीताफल मेंप्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट विटामिन सी बहुत ज्यादा मात्रा में होता है। विटामिनसी में शरीर की रोगों से लड़ने वाली शक्ति यानी इम्युन सिस्टम को बढ़ाने की क्षमता होती है जो बीमारियों को दूर भगाइए ।
- सीताफल बहुत ही अच्छा एनर्जी का स्रोत होता है और इसके सेवन से थकावटऔर मांसपेशियों की कमजोरी आपको बिलकुल भी महसूस नहीं होगी।विटामिन बी कॉम्प्लेक्स से भरा हुआ सीताफल दिमाग को शीतलता देने काभी काम करता है।
- यह आपको चिड़चिड़ेपन से बचाकर निराशा को दूर रखताहै। सीताफल आपके दांतों के स्वास्थ्य के लिए भी बहुत उत्तम है। इसकोनियमित खाकर आप दांतों और मसूड़ों में होने वाले दर्द से छुटकारा पा सकतेहैं। खून की कमी यानी एनीमिया से बचना अब बिलकुल आसान है।
- सीताफलका हर दिन इस्तेमाल खून की अल्पता को खत्म कर देता है और उल्टियों केप्रभाव को भी कम करता है। सीताफल आंखों की देखने की क्षमता बढ़ाता है,क्योंकि इसमें विटामिन सी और रिबोफ्लॉविन काफी ज्यादा होता है।
- सीताफल में मौजूद मैग्नीशियम शरीर में पानी को संतुलित करता है और इसतरह से जोड़ों में होने वाले अम्ल को हटा देता है। यह अम्ल गठिया रोग कामुख्य कारण होता है और इस तरह से सीताफल गठिया रोग से सुरक्षा करताहै। सीताफल में सोडियम और पोटेशियम संतुलित मात्रा में होते हैं जिससे खूनका बहाव यानी ब्लड प्रेशर में अचानक होने वाले बदलाव नियंत्रित हो जाते हैं।दोनों प्रकार की शुगर को संतुलित रखना सीताफल के उपयोग के साथ बहुत हीआसान है।
- इसमें शरीर में होने वाली शुगर को सोख लेने का गुण होता है औरइस तरह से यह शुगर का शरीर में स्तर सामान्य बनाए रखता है। सीताफलताँबा और फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है।साथ ही फाइबर मल को नरम करके कब्ज की समस्या से राहत दिलाता है।
- गर्भवती महिलाओं के लिए अच्छा होता है- यह फल गर्भावस्था के समय होनेवाले मूड स्विंग, मॉर्निंग सिकनेस और अकड़न से राहत दिलाने में मदद करता है।
- सीताफल के बीज रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाते हैं। इसके सेवन से कैंसर औरडायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है। सीताफल के बीजों में प्राकृतिकएंटी ऑक्सीडेंट हैं साथ ही विटामिन-सी बहुत अधिक मात्रा में है। विटामिन-सीसे शरीर में इम्यून सिस्टम को मजबूती मिलती है और यह ऊर्जा का अच्छास्रोत होता है।
- सीताफल के बीजों में विटामिन-बी होता है। सीताफल का बीजखून की कमी यानी एनीमिया से बचाता है। कई रोगों में रामबाणफोड़ार शरीफा के पत्तों को पीस कर फोड़ों पर लगाने से फोड़े ठीक हो जाते हैं.
- शरीर की जलन शरीफा सेवन करने या इसके गूदे से बने शरबत शरीर कीजलन को ठीक करता है. बालों के रोग रू शरीफा के बीजों को बकरी के दूध केसाथ पीस कर बालों में लगाने से सिर के उड़े हुए बाल फिर से उग आते हैं.जूओं का पड़ना रू शरीफा के बीजों को बारीक पीस कर रात को सिर में लगा लेंऔर किसी मोटे कपड़े से सिर को अच्छी तरह बांध कर सो जाएं. इससे जुएं मरजाती हैं । व्रत के दिनों में फलाहार के रूप में इसे खाते हैं. पूरक आहार के रूपमें इसका सेवन किया जाता है.
- सीताफल में विटामिन बी-1, ए, बी-2 और सी पाया जाता है। इसका फल गोलाकार, छोटी-छोटी गोल कृतिवाली, बाहर से उभरी हुई पेशियों के कारण मनोहर कलाकृति के समान लगता है।
- यह अत्यन्त ठंडा होता है। अधिक खाने पर जुकाम हो जाता है। इनके फल में अनेक बीज काले और चिकने होते हैं। बीजों के आसपास सफेद मीठी गिरी होती है। इसे ही खाया जाता है।
- पित्त में पके सीताफल को खुली जगह ओस में रख दें। सवेरे खाने से पित्त का दाह शांत होता है।
- शरीर की जलन : शरीफा सेवन करने या इसके गूदे से बने शर्बत शरीर की जलन को ठीक करता है।
- बालों के रोग : शरीफा के बीजों को बकरी के दूध के साथ पीसकर बालों में लगाने से सिर के उड़े हुए बाल फिर से उग आते हैं।
- मिर्गी हिस्टीरिया : इसके पत्तों को पीसकर उसका पानी रोगी/रोगिणी की दोनों नासाओं (नाक के दोनों ओर) में दो-दो बूंद डालने से होश आ जाएगा।
- गांठ का इलाज : पके हुए सीताफल का गूदा कूटकर पोटली बांधने पर सांघातिक गांठ फूट जाते हैं।
- घाव में कृमि : सीताफल के पत्तों को कूटकर उसमें सेंधा नमक मिला, घाव वाले स्थान पर रख पट्टी में बांध दें। इससे फोड़े या घाव में पीव तथा कीड़े, कृमि पड़ गये हो तो वे नष्ट हो जाएंगे।
- घाव में कीटाणु : सीताफल के पत्ते पर तम्बाकू का चूर्ण, बुझा हुआ चूना को शहद में मिलाकर इसे घाव पर बांध दें। तीन दिन भीतर घाव के कीटाणु मर जायेंगे।
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